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स्तोत्र ग्रन्थ अध्याय 34:1-9

Ronald Lakra (DR-Adrina)
2024-08-23 14:11:23
हर समय प्रभु को धन्य कहूँगा; मेरा कण्ठ निरन्तर उसकी स्तुति करेगा।मेरी आत्मा गौरव के साथ प्रभु का गुणगान करती है। दीन-हीन उसे सुन कर आनन्द मनाये।मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ। हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें।मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया।प्रभु की ओर दृष्टि लगाओ, आनन्दित हो, तुम फिर कभी निराश नहीं होगे।दीन-हीन ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने उसकी सुनी और उसे हर प्रकार के संकट से बचाया।प्रभु का दूत उसके भक्तों के पास डेरा डालता और विपत्ति से उनकी रक्षा करता है।परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है। धन्य है वह, जो उसकी शरण जाता है!

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