जब कभी आपका मन किसी विषय में ज
anita kumari
जब कभी आपका मन किसी विषय में जाए तो? उससे बचने का उपाय बहुत ज़ोर ज़ोर से जल्दी जल्दी से नाम करना। तो वो संस्कार नहीं बना पाएगा पर उस समय आप देखना। अगर आप नाम जब करे, उसकी रफ्तार धीमी करके एकदम बंद करवा देगा, विषय चिंतन करेगा और साधक सहयोग कर देता है। मन को की परेशान हो करके डोलता है। घंटो मेरा मन नहीं लगता, मेरा मन अशांत है, मैं क्या करूँ मेरा मन ऐसा मेरा मन? तो दवा क्यों नहीं ली? समय पर जीस समय तुम्हारा मन विषय में चिंतन कर रहा था, उस समय तुमने चिंतन करने क्यों दिया? नाम कीर्तन क्यों नहीं किया? उस समय ज़ोर ज़ोर से कीर्तन क्यों नहीं किया? रफ्तार से कीर्तन क्यों नहीं किया? उसको अवसर क्यों दिया? चिंतन का हर विक्षेप की काट भागवत चिंतन है। उस समय चिंतन ना बने तो कीर्तन करो।जब कभी आपका मन किसी विषय में जाए तो? उससे बचने का उपाय बहुत ज़ोर ज़ोर से जल्दी जल्दी से नाम करना। तो वो संस्कार नहीं बना पाएगा पर उस समय आप देखना। अगर आप नाम जब करें, उसकी रफ्तार धीमी करके एकदम बंद करवा देगा, विषय चिंतन करेगा और साधक सहयोग कर देता है। मन को की परेशान हो करके डोलता है। घंटों मेरा मन नहीं लगता, मेरा मन अशांत है, मैं क्या करूँ मेरा मन ऐसा मेरा मन? तो दवा क्यों नहीं ली? समय पर जीस समय तुम्हारा मन विषय में चिन्तन कर रहा था। उस समय तुमने चिंतन करने क्यों दिया? नाम कीर्तन क्यों नहीं किया? उस समय ज़ोर ज़ोर से कीर्तन क्यों नहीं किया? रफ्तार से कीर्तन क्यों नहीं किया? उसको अवसर क्यों दिया? चिंतन का हर विक्षेप की काट भागवत चिंतन है। उस समय चिंतन ना बने तो कीर्तन करो।